31-12-08  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

‘‘अव्यक्त बापदादा’’   मधुबन ‘‘इस नये वर्ष में परिवर्तन शक्ति के वरदान द्वारा निगेटिव को पॉजिटव में परिवर्तन कर संकल्प श्वांस समय को सफल करो सफलतामूर्त बनो’’

आज नव जीवन देने वाले बाप अपने चारों ओर के नव जीवन धारण करने वाले बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। यह नव जीवन है ही नव युग बनाने के लिए। लोग नव वर्ष मनाते हैं और आप सभी नव जीवन वाले बच्चे सभी आत्माओं को बधाईयां भी देते हो और साथ में यही खुशखबरी देते हो नव युग आया कि आया। आप सभी बच्चों को तो बाप ने वर्से के रूप में गोल्डन दुनिया की गिफ्ट दे दी है। जिस गोल्डन दुनिया में अनेक गोल्डन सौगातें है ही हैं। आप सभी को यही नशा है ना कि यह गोल्डन दुनिया की सौगात तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। आज की दुनिया में कोई किसको कितनी भी बड़े ते बड़ी सौगात दे, तो बड़े ते बड़ा क्या देंगे, ताज वा तख्त। लेकिन आपके गोल्डन दुनिया की गिफ्ट के आगे वह क्या चीज़ है? कोई बड़ी चीज़ है! आपके दिल में खुशी है कि हमारे बाप ने हमें सबसे ऊंचे ते ऊंची नव युग की गिफ्ट दे दी है। निश्चय है और निश्चित है। यह भावी कोई टाल नहीं सकता। यह अटल निश्चय सदा स्मृति में रहता है! सदा रहता है वा कभी-कभी कम हो जाता है? जन्म सिद्ध अधिकार है तो जन्म सिद्ध अधिकार कभी टल नहीं सकता।

तो आज आप सभी अलग-अलग स्थानों से नया वर्ष मनाने आये हो। लेकिन यह नया वर्ष भी मना रहे हो तो इस नये वर्ष का लक्ष्य क्या रखा है? इस नये वर्ष में क्या विशेष करना है? इस नये वर्ष की विशेषता है कि बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनना ही है। कुछ भी पुरूषार्थ करना पड़े लेकिन निश्चित है कि बाप समान बनना ही है। बोलो, सबके मन में यही पक्का संकल्प है ना! है? कांध हिलाओ। बाप भी यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा बाप समान बने। बाप तो बाप है लेकिन बच्चे बाप से भी ऊंचे हैं। तो बाप समान बनने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बाप को फॉलो करना पड़े। सोचो, बाप, ब्रह्मा बाप सम्पूर्ण कैसे बना? उनकी क्या विशेषता रही? सम्पूर्णता का विशेष आधार क्या रहा? ब्रह्मा बाप ने अपना हर समय सफल किया। श्वांस-श्वांस, सेकण्ड-सेकण्ड सफल किया। तो बाप समान बनने के लिए इस वर्ष का लक्ष्य क्या रखेंगे?सफल करना है और सफलतामूर्त बनना ही है। सफलता हमारे गले का हार है। सफलता हमारे बाप का वर्सा है। तो इस लक्ष्य से चेक करना - हर दिन अपने आपको चेक करना है कि सफलतामूर्त बन समय, श्वांस, खज़ाने, शक्तियां, गुण सब सफल किया? क्योंकि अभी की सफलता से भविष्य भी जमा होता है। 21 जन्म जो भी सफल अभी किया, उसका फल जमा होता है। जानते हो ना, पहले भी सुनाया है कि अगर आप समय सफल करते हो तो भविष्य में भी आपको राज्य भाग्य का फुल समय, राज्य भाग्य की प्राप्ति होती है। श्वांस सफल करते हो तो 21 जन्म स्वस्थ रहेंगे। कभी भी कोई भी स्वास्थ्य में कमी नहीं रहेगी और साथ में जो खज़ाने जमा करते हो, सबसे बड़ा खज़ाना है ज्ञान का, ज्ञान का अर्थ है समझ। तो ज्ञान का खज़ाना सफल करने से भविष्य में आप ऐसे समझदार बन जाते हैं जो आपको कोई वजीरों की राय नहीं लेनी पड़ती है। स्वयं ही राज्य अखण्ड, अटल चलाते हो और आपके राज्य में कोई विघ्न नहीं। निर्विघ्न अखण्ड, अटल है। यह है ज्ञान का खज़ाना जमा करने का फल। एक जन्म सफल किया और अनेक जन्म सफलता का फल खाते हो। ऐसे ही शक्तियां जो प्राप्त हैं उनको स्व प्रति वा दूसरों के प्रति सफल करते हो तो भविष्य में आपके राज्य में सर्व शक्तियां हैं, कभी शक्ति कम नहीं होती। कोई भी शक्ति की कमी नहीं है। ऐसे ही अगर गुण दान करते हो तो आपका अन्तिम जन्म, 84 जन्म जो जड़ चित्र बनाते हैं उसमें लास्ट तक आपकी महिमा क्या करते हैं? सर्वगुण सम्पन्न। तो एक-एक सफलता की प्राप्ति के अनेक जन्म के अधिकारी बन जाते हो। तो इस वर्ष क्या करना है? लक्ष्य रखना है एक श्वांस, एक सेकण्ड भी असफल नहीं हो। जमा करना है। जमा का समय एक छोटा सा जन्म और फल का समय 21 जन्म, तो इस वर्ष में बाप समान बनने का लक्ष्य है? सभी को लक्ष्य है कि बाप समान बनना ही है? बनना नहीं है, बनना ही है। बनना ही है अण्डरलाइन। अच्छा। बच्चे भी बनेंगे? छोटे छोटे बच्चे भी बनेंगे। अच्छा लगता है बच्चों का ताज। (सभी बच्चों ने ताज पहना हुआ है) बहुत अच्छा लगता है। तो इस वर्ष का लक्ष्य भी रखा और साथ में बाप को फॉलो करने का मन्त्र, सफल कर सफलता मूर्त बनना है। इसके लिए ज्यादा मेहनत करने की बापदादा बच्चों को तकलीफ भी नहीं देते हैं, बहुत सहज विधि बताते हैं, सहज विधि क्या है? जो भी संकल्प करो, पहले चेक करो बाप का यह संकल्प रहा! बोल बोलते हो चेक करो, बाप समान बनना है ना! तो संकल्प, बोल और कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क पहले सोचो, चेक करो बाप का यह रहा? और ऐसा ही स्वरूप बनो। ब्रह्मा बाप को फॉलो करो। फॉलो फादर तो गाया हुआ है ना! कई बच्चे बहुत अच्छे अच्छे खेल दिखाते हैं। पता है कौन से खेल दिखाते हैं? फॉलो नहीं करते लेकिन क्या कहते हैं? चाहता तो नहीं था, हो गया। पहले सोच के, सिर्फ सोचो नहीं स्वरूप बनो। अगर स्वरूप बन जायेंगे तो यह नहीं कहेंगे सोचा नहीं था लेकिन हो गया। करने वाला, सोचने वाला आप श्रेष्ठ आत्मायें हो, मालिक हो। हो गया का अर्थ है कर्मेन्द्रियों के ऊपर कन्ट्रोल नहीं।

तो इस वर्ष में यही स्लोगन याद रखना बाप समान करना ही है, बनना ही है। मुश्किल तो नहीं है ना? जैसे बाप ने किया वैसे करना है। कापी करना तो सहज है ना, सोचने की जरूरत ही नहीं है। और निश्चित है कि आप सभी को जैसे बाप, ब्रह्मा बाप फरिश्ता बना तो निश्चित है फरिश्ता सो देवता बनना ही है। तो आपको भी फरिश्ता सो देवता बनना ही है। कई बच्चे कहते हैं कि चलते-चलते आपोजीशन बहुत होती है, तो आपोजीशन के कारण पोजीशन से नीचे आ जाते हैं। लेकिन याद करो बाप समान बनना है तो स्थापना के आदि में ब्रह्मा बाप ने कितने आपोजीशन को पोजीशन में परिवर्तन किया?हर बात नई, चैलेन्ज थी। अभी तो बहुत जमाना बदल गया है लेकिन अकेला ब्रह्मा बाप कितना स्वमान की सीट पर बैठ पोजीशन द्वारा आपोजीशन का सामना किया। जहाँ पोजीशन है वहाँ आपोजीशन कुछ नहीं कर सकती। पहले क्या कहते थे? धमाल कर रहे हैं और अभी क्या कहते हैं? कमाल कर रहे हैं। इतना फर्क हो गया। कारण क्या? ब्रह्मा बाप ने स्वयं स्वमान की सीट और दृढ़ निश्चय के शस्त्रों द्वारा आपोजीशन को समाप्त किया। तो आप इस वर्ष में क्या करेंगे? समान बनना है ना, तो सदा अगर आपोजीशन होती भी है तो स्वमान की सीट पर बैठ जाओ तो आपोजीशन, पोजीशन में बदल जाये। है हिम्मत? ब्रह्मा बाप समान बनना ही है, उसमें तो हाथ उठाया, लेकिन इतनी हिम्मत है? पहले स्व के परिवर्तन का, फिर है अनेक सम्बन्ध-सम्पर्क वाली आत्मायें और फिर विश्व की आत्मायें। इन सबको अपने मन्सा शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा, दृढ़ संकल्प द्वारा परिवर्तन करना।

तो इस वर्ष में बापदादा विशेष एक शक्ति का वरदान भी दे रहे हैं। मेरा बाबा दिल से कहेंगे तो शक्ति हाजिर, ऐसे ही मेरा बाबा नहीं, दिल से कहा, अधिकार रखा, मेरा बाबा और शक्ति आपके आगे हाजिर हो जायेगी। वह कौन सी शक्ति? परिवर्तन की शक्ति। परिवर्तन की शक्ति में विशेष निगेटिव को पॉजिटिव में चेंज करो। निगेटिव संकल्प, निगेटिव चलन को देखते हुए पॉजिटिव में चेंज करो। पॉजिटिव देखना, बोलना, करना, सिर्फ शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा सहज हो जायेगा क्योंकि यह आपोजीशन आयेगी, लेकिन आपके परिवर्तन की शक्ति आपको सहज सफलता दिलायेगी। तो समझा इस वर्ष का विशेष वरदान परिवर्तन शक्ति को दृढ़ संकल्प से कार्य में लगाना। कर सकते हो ना परिवर्तन?चैलेन्ज है आपकी, याद है ना! विश्व परिवर्तक हो ना! जब टाइटिल ही विश्व परिवर्तक का है तो क्या स्व को परिवर्तन करना मुश्किल है क्या! दिल में कोई भी मुश्किल बात आये, वैसे मुश्किल बात नहीं होती लेकिन आप बना देते हो। मास्टर सर्वशक्तिवान उसके आगे मुश्किल क्या है? लेकिन आप एक गलती करते हो और मुश्किल बना देते हो। जैसे देखो अचानक यहाँ अंधकार हो जाता है तो अगर कोई गलती से अंधकार को भगाने लगे तो अंधकार भागेगा? सही विधि है आप रोशनी का स्विच ऑन करो तो अंधकार सेकण्ड में भाग जायेगा। तो आप भी यह गलती करते हो जो बात हो गई ना, उसके क्यूं, क्या, कब कैसे... इस क्यू क्यूं में चले जाते हो। छोटी सी बात बड़ी कर देते हो और बड़ी बात तो मुश्किल होती है। छोटी बात कर लो तो सहज हो जाये। बाप ने कोई भी शक्ति को कार्य में लगाने की विधि बहुत सहज बताई है - अपने मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, इस स्मृति की सीट पर बैठ जाओ, अगर इस सीट पर बैठेंगे तो अपसेट नहीं होंगे। बिना सीट के अपसेट होते हैं, सीट है तो अपसेट नहीं होंगे। 63 जन्म के संस्कार इमर्ज हो जाते हैं। 63 जन्म क्या रहा? अभी अभी सेट, अभी अभी अपसेट। तो सदा स्वमान की सीट पर सेट रहो। और इस वर्ष में क्या करेंगे? नये वर्ष में गिफ्ट तो सबको देंगे ना। तो कौन सी गिफ्ट देंगे? बधाई भी देंगे और साथ में गिफ्ट क्या देंगे? गिफ्ट तो आपके पास बहुत है। जितना देने चाहो उतना दे सकते हो। स्थूल गिफ्ट तो अल्पकाल के लिए चलेगी लेकिन आप अविनाशी बाप समान बनने वाले अविनाशी गिफ्ट दो। मन्सा द्वारा शक्तियों की गिफ्ट दो, वाचा द्वारा ज्ञान की गिफ्ट दो और कर्मणा द्वारा गुणों की गिफ्ट दो। है ना सबके पास? है तो कांध हिलाओ। खज़ाने बहुत हैं ना, कम तो नहीं हैं ना। कोई से भी कार्य में आओ, कार्य में तो आना पड़ेगा ना। उसको खूब इस वर्ष में सौगातें दो। लेकिन अविनाशी सौगात। सुनाया ना कोई को भी खाली जाने नहीं दो, चाहे मन्सा की सौगात दो, चाहे वाणी की, चाहे कर्म की। इसके लिए आपको सदा एक अटेन्शन रखना पड़ेगा, हर समय मन्सा में शक्तियों का स्टाक इमर्ज रखना पड़ेगा, कितनी शक्तियां हैं? लिस्ट तो है ना! वाचा के कारण सदा मन में मनन शक्ति, ज्ञान को मनन करने की शक्ति, स्मृति में रखनी पड़ेगी। चलन में, चेहरे में, कर्म में, गुणों का स्वरूप बनना पड़ेगा। सदा अपने को गुणमूर्त, ज्ञान मूर्त, शक्ति स्वरूप इमर्ज रखना पड़ेगा। ऐसे नहीं शक्तियां तो हैं ही, ज्ञान तो है ही... लेकिन स्वरूप बनना पड़ेगा। हर एक को ईश्वरीय परिवार की दृष्टि वृत्ति से देखना पड़ेगा। इस वर्ष जब समान बनना ही है, उसमें हाथ उठा लिया है, बापदादा के वतन में सबका हाथ दिखाई दे देगा। वहाँ यह छोटी टी.वी. नहीं है, बहुत बड़ी है। एक सेकण्ड में सर्व सेन्टर्स की रिजल्ट को देख सकते हैं। तो बापदादा आपका जो उमंग है, बाप समान बनना ही है, इसके लिए खुश है। खुशनसीब हो, खुश चेहरे वाले हो, कभी रोब का चेहरा नहीं बनाना। सदा खुश, कोई भी आपको चाहे जितना भी काम में बिजी हो, गलती को ठीक कर रहे हो, समझा रहे हो लेकिन रोब का चेहरा, बोल नहीं हो। इस वर्ष में यह परिवर्तन करके दिखाओ। प्राइज़ देंगे। सारे वर्ष में जो सदा मुस्कराता रहेगा, कोई भी बात आये, कई भाई बहिनें कहते हैं, रूहरिहान तो करते हैं ना सभी, तो कहते हैं अगर रोब से नहीं कहेंगे ना तो समझेगा नहीं। बदलेगा ही नहीं। पहले ही आपने भावना रख दी कि यह बदलेगा ही नहीं तो उसको आपका वायबे्रशन पहले ही पहुंच गया। इसलिए इस वर्ष में क्रोध या बाल-बच्चा इसको विदाई देनी है। हो सकता है? रोब भी नहीं। बाप पूछता है जो भी समय प्रति समय क्रोध करते हैं, काम बनाने के लिए, सुधारने के लिए, लेकिन वह सुधरता है? क्रोध करने से कोई सुधरा है? वह लिस्ट बताओ। और ही चिढ़ जाता है, सुधरता नहीं है। आपोजीशन करता है मन में। अगर बड़ा है तो मन में आपोजीशन करता है, बोल तो सकता नहीं और छोटा है तो रोने लग जाता है। तो इस वर्ष क्या-क्या करना है, वह सारा सुना रहे हैं। पसन्द है? करना है? अभी हाथ उठाओ। करना है? यह टी.वी. वाले यह फोटो निकालो। हाथ उठाओ, थोड़ा खड़ा रखो। टी.वी. वाले निकाल रहे हैं।

बापदादा हर एक से जो भी बातें सुनाई हैं, इस वर्ष करनी है, हर मास की लास्ट तारीख, हर एक अपना पोतामेल, जो वरदान मिलता है छोटा सा, इसमें ओ.के. लिखो। अगर जो भी बातें सुनाई, इन सभी बातों में दो बातें हुई, दो बातें नहीं हुई, अगर नहीं हुई तो ओ.के. के बीच में लाइन लगाना। बस इतना रिजल्ट लिखना, बड़ा कागज नहीं लिखना। अगर बड़ा कागज लिखेंगे तो पढ़ने वाले का आधा टाइम तो इसमें जायेगा। इसलिए ओ.के. लिखना छोटी सी चिटकी होगी ना तो सहज पढ़ सकेंगे। तो ओ.के लिखना और लाइन लगाना, सहज है ना! विशेष यह क्रोध का भूत जो है वह इस वर्ष भगाना है। रोब भी नहीं, कई आंखों से भी क्रोध करते हैं, देखा है? चेहरे से भी क्रोध करते हैं। तो क्या करेंगे? कुछ तो तलाक देंगे ना। देंगे? मधुबन वाले देंगे? मधुबन वाले हाथ उठाओ। अच्छा इतने बैठे हैं। अच्छा यहाँ बैठे हैं। तो पहले मधुबन वालों को बापदादा कहते हैं इसमें पहले मैं, पहले मधुबन से विदाई देंगे और मधुबन का प्रभाव सेन्टर पर भी आटो-मेटिकली जायेगा। मधुबन बीज है, तना है। लेकिन आप सबकी परमानेंट एडे्रस कौन सी है? मधुबन है ना। तो आप समझ रहे हो सिर्फ मधुबन निवासी करेंगे। आप सभी मधुबन निवासी हो। क्योंकि परमानेंट एड्रेस आपकी मधुबन है, यह तो सेवा के लिए भिन्न-भिन्न स्थान पर गये हैं। फारेन में जाने वाले अपने जन्म के गांव को भूलते हैं? बापदादा ने देखा है फारेन से जो जिन्हों के इन्डिया में गांव हैं, स्थान हैं, उन्होंने फारेन में रहते भी अपने जन्म भूमि, चाहे गांव है, चाहे शहर है लेकिन सेन्टर स्थापन किया है, बापदादा उन बच्चों को बहुत-बहुत पुण्य आत्मा का टाइटिल देते हैं। कमाल की है और फिर पूछते भी रहते हैं कोई तकलीफ तो नहीं, ठीक है। यह है पुण्य आत्मा का कर्तव्य। परिवार है। एक परिवार है। दो परि-वार नहीं हैं, एक परिवार है। आज आप लण्डन में जाते हो, कोई भी कारण से, तो आप क्या कहेंगे? हमारा सेन्टर है कि कहेंगे लण्डन वालों का है? हमारा है ना! हमारा भाव का अर्थ यह नहीं कि वहाँ जाके रह जाओ। वह तो बाबा ने हर एक को अपनी सेवा का स्थान दे दिया है। तो सुना क्या करना है? मधुबन वाले और सभी को अपना सर्टीफिकेट लेना है। अच्छा। बहुत काम दे दिया है ना लेकिन बापदादा आपका साथी है, जहाँ भी मुश्किल आवे ना बस दिल से कहना, बाबा, मेरा बाबा, मेरा साथी आ जाओ, मदद करो। तो बाबा भी बंधा हुआ है। सिर्फ दिल से कहना। क्योंकि समय और स्वयं दोनों को देखना है। समय चैलेन्ज कर रहा है और आप माया को चैलेन्ज करो क्या करेगी।

तो समय के प्रमाण बापदादा देख रहे थे कि समय की रफ्तार इस समय तीव्र है। तो समय को सामना कौन करेगा?आप ही तो करेंगे। बापदादा ने देखा कि दु:खियों की पुकार, भक्तों की पुकार, समय की पुकार इतना सुनते कम हैं। बिचारे हिम्मतहीन हैं, उन्हों को पंख लगाओ तो उड़ तो सकें। हिम्मत के पंख, उमंग-उत्साह के पंख लगाओ। अच्छा।

बापदादा ने सब तरफ के आये हुए कार्ड, ईमेल, मुबारकें स्वीकार भी की और यहाँ भी देखी। आपके दिल की मुबा-रकें बापदादा के लिए हीरों से भी पदमगुणा ज्यादा बापदादा ने स्वीकार की। दूर बैठे हुए बच्चे बाप के तो दिल के सामने हैं। बापदादा जब दृष्टि देते हैं तो सिर्फ इस हाल में नहीं देते, बापदादा के सामने सभी स्थान के बच्चे, दिल के सामने हाजिर होते हैं। तो पदमगुणा बधाईयां भी हैं और गोल्डन गिफ्ट तो बापदादा ने सभी बच्चों को अधिकारी बना ही दिया है। जिस गोल्डन गिफ्ट में अनेक गिफ्ट समाई हुई हैं। जो सोचो वह हाजिर। यहाँ के हिसाब से तो 12 बजे न्यु ईयर शुरू होगा और हमारे लिए तो सदा नयनों में, दिल में क्या याद रहता है? गोल्डन वर्ल्ड, अभी अभी आया कि आया। ऐसे लगता है ना! आज यहाँ हैं बस थोड़े ही समय में अपनी दुनिया में जायेंगे। अच्छा, अभी बोलो।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा का है:- बहुत अच्छा, सुन्दर दृश्य दिखाई दे रहा है। सेवा का पुण्य जमा करने से मन खुशी में नाचता रहता है ना! अच्छा। टीचर्स भी बहुत हैं। टीचर्स हाथ हिलाओ। अच्छा है, संगठन अच्छा है। अभी दिल्ली क्या करेगी? पहले भी सुनाया कि यह मेला करना, प्रोग्राम करना, यह अभी कामन हो गया है। रीति प्रमाण हो गया है, सीजन खत्म होती है और वर्गो का प्रोग्राम चालू होता है। लेकिन अभी बापदादा ने दो बातों का इशारा दिया है वी.आई.पी की सेवा अच्छी की है, समय पर सहयोगी भी बन जाते हैं, अच्छा सहयोग भी देते हैं लेकिन अभी ऐसे सह- योगी से वारिस बनाओ। वैसे दिल्ली में भी जो बहुत समय की वारिस क्वालिटी निकली है लेकिन पहले, अभी माइक भी हो और वारिस क्वालिटी भी हो, सहयोगी नहीं, सहयोगी तो बनायेंगे ही, बन रहे हैं लेकिन वारिस क्वालिटी। अभी चारों ओर से माइक भी हो, मददगार भी हो, लेकिन वारिस क्वालिटी हो। भले गुप्त रहे लेकिन वारिस गुप्त रहते भी प्रत्यक्ष है ही। ऐसा कोई ग्रुप कहाँ से भी निकले, किसी वर्ग का भी हो, देश का हो, विदेश का हो, कहाँ के भी हो लेकिन ऐसी क्वालिटी की चलो माला नहीं, कंगन तो बनाओ। और वैसे भी जो पहले जमाने में फटाफट वारिस निकले हैं, वैसे अभी और सब क्वालिफिकेशन हैं लेकिन वारिस क्वालिटी हर श्रीमत, हर डायरेक्शन पर मन से गुप्त रूप से भी चलने वाले। बापदादा की यह आशा है कि ऐसे कोई निमित्त बनें जो भिन्न-भिन्न स्थान से भी ग्रुप बनावें। यह नवीनता कोई भी सेन्टर है या वर्ग है, करके दिखावे। सहयोगी हैं बापदादा जानते हैं, समय पर सहयोग दे देते हैं लेकिन वारिस हो। चाहे गुप्त हो। दिल्ली क्या करेगी? ऐसा कंगन तैयार करेगी? बापदादा माला नहीं कह रहे हैं कंगन बनाके लाये। इस वर्ष में कोई कमाल करके दिखाओ ना। चाहे फारेन से निकले, चाहे भारत से निकले, हो सकता है ना! हो सकता है! टीचर्स बोलो हो सकता है? हाथ उठाओ। दिल्ली वाले। वाह! बापदादा मुबारक देते हैं। हिम्मत अच्छी रखी, अभी हिम्मत की मुबारक देते हैं और जब प्रैक्टिकल करेंगे ना तो फिर कौन सी मुबारक देंगे? वाह! मुरबी बच्चे वाह! कोई भी करे, बाम्बे करे, महाराष्ट्र करे, आंध्र करे, कोई भी करे, मधुबन करे, ठीक है ना! अच्छा है, दिल्ली में ब्रह्मा बाप की, ब्रह्मा बाप के साथ शिव बाप तो है ही लेकिन विशेष ब्रह्मा बाप की दिल्ली, बाम्बे, कलकत्ता, कलकत्ता वाले भी कर सकते हैं, शुरू से बापदादा उम्मीदें रखे हुए है। अच्छा। अभी कमाल करके दूसरे वर्ष आओ तो तैयारी करके आना। ठीक है? सभी पाण्डव हाथ उठाओ। देखो कितने पाण्डव हैं। तो दिल्ली के पाण्डव कमाल करके आयेंगे ना! करेंगे? बापदादा हमेशा बार-बार दिल्ली का नाम कहता है और सभी के लिए इतने जो भी ब्राह्मण हैं, उनके लिए दिल्ली में दरबार बनायेंगे ना। राज्य करेंगे ना। राज्य सभा दिल्ली में होगी ना। तो दिल्ली वालों को दिल्ली को बहुत तैयार करना पड़ेगा। सभी को महल देंगे ना। महल मिलेगा दिल्ली में। अच्छा देखेंगे कमाल। कोई नवीनता करो ना। अभी सभी देख चुके हैं बार-बार फंक्शन होता है, मेला होता है, अच्छा।

ज्युरिस्ट विंग कलचरल विंग और मीडिया विंग वाले आये हैं:- पहले ज्युरिस्ट वाले उठो। ज्युरिस्ट का काम है लॉ एण्ड आर्डर को मजबूत बनाना। तो आप सभी इस पुरानी दुनिया में बैठ नई दुनिया का जो लॉ एण्ड आर्डर है उसको बना रहे हो। प्लैन अच्छे बनाये हैं। लेकिन अभी ऐसा चारों ओर क्योंकि इस डिपार्टमेंट में भी भिन्न-भिन्न स्थान के साथी हैं सब तरफ के मिलके करते हैं तो ऐसा वायुमण्डल वाणी द्वारा भाषणों द्वारा वायुमण्डल बनाओ जो कई लोग आपके साथी बनके पहले यह सहयोग दें कि अशान्ति के समय में हम शान्ति बनाके रखेंगे। शान्ति स्थापक बन आपके साथी बनें। ऐसी साइन कराओ। जगह जगह पर अपनी सेवा द्वारा लिखाओ कि हम शान्त रहेंगे लॉ एण्ड आर्डर में चलेंगे और दूसरों को भी चलायेंगे। ऐसी लिस्ट तैयार करो और वह गवर्मेन्ट को दिखाओ तो हम क्या कर रहे हैं? और उन्हों के ग्रुप प्रैक्टिकल में लॉ एण्ड आर्डर में चल रहे हैं या नहीं उसका बीच बीच में चेक करो ऐसा सहयोगी ग्रुप चाहे यूथ हो चाहे बुजुर्ग हो चाहे बच्चे हो लेकिन समझदार बच्चे संख्या इकट्ठी करो और इन्हों का समय प्रति समय यात्रा निकालने की बात नहीं है लेकिन कहाँ न कहाँ जहाँ स्थान बड़ा हो वहाँ उन्हों का संगठन करते रहो और ऐसा संगठन तैयार करो जिसमें सब वर्ग वाले हों। तो गवर्मेन्ट देखे कि यह क्या कार्य कर रहे हैं। गवर्मेन्ट चाहती है लेकिन कर नहीं पाती है आप करके दिखाओ। अच्छा है। संगठन अच्छा है और करते भी रहते हो लेकिन अभी थोड़ा बुलन्द आवाज करो। फिर भी जो निमित्त बनते हैं उनको बापदादा दिल से मुबारक देते हैं करते चलो बढ़ते चलो बढ़ाते चलो। अभी गवर्मेन्ट के कानों में थोड़ा कानों को हिलाओ। जितने वर्ग हैं अपने अपने सेवा द्वारा उन्हों को प्रत्यक्ष प्रुफ दिखाओ। अपनी उलझन में बिजी रहते हैं तो उनको थोड़ा जगाओ। बाकी जो भी कर रहे हैं वह अच्छा है लेकिन अभी और अच्छे ते अच्छा करो। बाकी बापदादा का विशेष यादप्यार भी ग्रुप को है और मुबारक भी है।

मीडिया विंग:- मीडिया वालों ने थोड़ा-थोड़ा अभी लोगों के कान खोले हैं। अभी सुनना अच्छा लगता है कोई-कोई बनना शुरू भी किया है लेकिन जितने सुनते हैं उतने ही अगर बन जायें तो क्या हो जायेगा? बापदादा साकार में भी कहते थे कि मीडिया कमाल कर सकती है लेकिन अभी अव्यक्त रूप में देख रहे हैं थोड़ा देरी से किया है लेकिन देर में भी दुरस्त है। आवाज फैलाने का साधन घर बैठे यह मीडिया ही कर सकती है क्योंकि आजकल मनुष्य आत्मायें समय होते भी यही बहाना देते हैं अच्छा है लेकिन टाइम नहीं मिलता। तो यह बहाना भी मीडिया वाले समाप्त कर सकते हैं। सिर्फ अच्छा लगा नहीं अच्छा बनाके दिखाओ। शुरू हुआ है प्रभाव अच्छा है मेहनत भी अच्छी की है लेकिन आवाज थोड़ा अभी और बड़ा करो। नये-नये प्लैन बनाओ। ऐसे भी निकालो जो आपको सहयोग दे आवाज फैलाने में। ऐसे भी तैयार करो और साथ में भिन्न-भिन्न स्टेशन से आवाज फैलाओ। ऐसे भी साथी तैयार करो। कर सकते हैं। बाकी फैला रहे हैं मेहनत की है मेहनत की मुबारक है लेकिन और बढ़ाओ। सब रीति से साथी बनाओ। कोई कराने वाला कोई करने के निमित्त बनने वाला बाकी अच्छा है। मीडिया के कई प्रकार सेवा के हैं तो भिन्न भिन्न प्रकार से आवाज फैलता रहे। सम्बन्ध-सम्पर्क में लाते रहो। तो मीडिया डिपार्टमेंट को भी बापदादा जितना किया है अच्छा किया है मुबारक दे रहे हैं। बापदादा तो सुनके खुश के देख करके खुश होते हैं क्योंकि तरस पड़ता है दु:खी आत्माओं का दु:ख देखकर तरस पड़ता है। फिर भी बच्चे हैं ना सगे है या लगे हैं लेकिन हैं तो बच्चे इसलिए और प्लैन बढ़ाते चलो। अच्छा।

कल्चरल विंग:- कल्चरल और कल्चर दोनों मिलते हैं। तो कल्चरल द्वारा कल्चर बन जाए यही सेवा कर रहे हैं। बापदादा हर एक वर्ग का उमंग उत्साह देखते भी हैं हर एक अपने अपने विधि से सेवा को बढ़ा तो रहे हैं लेकिन अभी निमित्त कल्चरल है लेकिन बनाना क्या है? कल्चर। जब मनुष्य आत्माओं का कल्चर बदल जायेगा तो अभी तो आप कल्चरल दिखाते हो लेकिन कल्चर बदलने से वह भी अपने कार्य में रहते खुशी की डांस शुरू कर देंगे। जैसे आप डांस करके दिखाते हो ना तो कहाँ भी रहे कुछ भी करें लेकिन मन में खुशी का डांस करें। घर-घर में डांस हो। लक्ष्य तो अच्छा है और लक्ष्य को लेके सेवा को बढ़ाते भी चलते हो लेकिन बाबा चाहता है अभी देखना चाहता है कौन कंगन तैयार करके लाता है। कौन सा वर्ग इसमें चाहे नम्बरवन होवे चाहे नम्बरवन में सहयोगी हो। अभी कुछ नवीनता चाहता है क्योंकि बीज डाला है। सभी वर्गो ने बीज तो अच्छा डाला है लेकिन अब फल दिखाई दे। कम से कम 9 लाख से और बढ़ना चाहिए ना। तो अच्छा है सभी बच्चे भिन्न-भिन्न वर्ग के कारण जिम्मेवार तो बने हैं। अटेन्शन भी गया है अभी वृद्धि थोड़ा जल्दी करो कयोंकि समय की पुकार बहुत है दु:ख अशान्ति बहुत बढ़ रही है भय बढ़ रहा है। और आप खुशी की डांस करो भयभीत से बचाओ। अच्छा है। हर एक सेवा के क्षेत्र में बिजी भी रहता है यह भी अच्छा है। इसी-लिए बढ़ते चलो अपने साथियों को जो कल्प कल्प वाले हैं उन्हों को ढूंढके निकालो। अच्छा। बहुत अच्छा है और अच्छा रहेगा और बढ़ता रहेगा।

इन्टरनेशनल यूथ और चिल्ड्रेन रिट्रीट चल रही है:- बच्चों को आगे करो। बापदादा ने बच्चों का भी समाचार सुना, अच्छा है अगर बच्चे स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन के लिए तैयार हो रहे हैं तो बापदादा को खुशी है कि बच्चे सुभान अल्ला बच्चे हैं। लेकिन जो वायदा किया है ना, बापदादा ने देखा है जो लिखा है, जो कमल का फूल बनाया है वह आगे दिखाओ। गवर्मेन्ट भी यूथ ग्रुप को परिवर्तन करते हुए देखना चाहती है क्योंकि यूथ में एक विशेषता होती है, यूथ ग्रुप जो चाहे, अगर मन से संकल्प करे, तो कर सकती है। चाहे उल्टे में लग जाये, चाहे सुल्टे में लेकिन आप यूथ ग्रुप कमाल करने वाले हो। धमाल नहीं, कमाल। तो गवर्मेन्ट भी यूथ ग्रुप पसन्द करती है और बाप के आगे अपने वायदे भी इस कमल पुष्प के अन्दर अच्छे लिखे हैं अभी इन वायदों को, परिवर्तन को सदा अमृतवेले बापदादा से रूहरिहान करते, बापदादा को रिजल्ट सुनाते रहना और जिस भी सेवास्थान पर हो वहाँ अपने टीचर को वायदा और फायदा, जो वायदा किया, उसका फायदा कितना है वह रिजल्ट देते रहना। टीचर्स बापदादा के पास आपेही पहुंचाती रहेंगी। बाकी बापदादा ने सुना तो ट्रेनिंग की रूपरेखा बहुत अच्छी बनाई है और सबने रूचि से किया, इसके लिए यूथ ग्रुप को बापदादा पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। पक्के रहना, कच्चा नहीं बनना। कच्चा होता है तो उसको चिæडिया खा जाती है, पक्के को नहीं खाती है। तो सदा उड़ते रहना, फरिश्ते बनके। इस देह रूपी धरनी पर पांव नहीं रखना, उड़ते रहना। अच्छा है, कुमारियां भी हिम्मत वाली हैं। भट्ठी करने वाले नहीं, भट्ठी में जो सुना वह करके दिखाने वाले। ऐसे हो ना। हाथ उठाओ जो करके दिखायेगा। करके दिखाने वाले, अच्छा। बहुत अच्छा। जैसे फारेन कहते हैं ना वैसे फौरन करने वाले। बापदादा खुश है। बच्चों के ऊपर भी खुश है। बच्चों ने भी अपने उमंग उत्साह से समय भी दिया है और प्रॉमिस भी किया है। अच्छा। मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

डबल विदेशी:- डबल तीव्र पुरूषार्थी। अभी डबल फारेनर नहीं डबल तीव्र पुरूषार्थी। डबल फारेनर्स की विशेषता है वह हाथ में हाथ देके ज्यादा चलते हैं। तो आप सभी ने बापदादा को पक्का हाथ में हाथ देना अर्थात् साथी बनाना फ्रैंण्ड बनाना लवली फ्रैंण्ड तो फ्रैंण्ड बनाया है? फ्रैंण्ड का नाता जल्दी याद आता है कोई भी मुश्किल आती है ना तो बाप को नहीं बतायेंगे फ्रैंण्ड को बतायेंगे तो आपने खुदा को दोस्त बनाया है। है ना खुदा दोस्त है! अच्छा है बापदादा को फारेनर्स को देख खुशी होती है क्योंकि कारण क्या है? बाप का एक नाम फारेन वालों ने सिद्ध किया विश्व पिता विश्व कल्याणकारी। पहले भारत कल्याणकारी थे लेकिन विदेश ने बाप का विश्व कल्याणकारी नाम प्रत्यक्ष किया है। पहले विश्व की सेवा सिर्फ मन्सा द्वारा करते थे अभी निमित्त बने हैं विश्व की सब तरह से सेवा करने के। और देखो कोने-कोने में बिछुड़े हुए बच्चे कितने वाह वाह! बच्चे निकल आये। और आपको नशा होगा तो हम हर कल्प के साथी हैं। थे भी हैं भी और होंगे भी। है ना! नशा है ना! देखो बाप की नज़र आपको कोने कोने में होते भी पहचान लिया बाप ने भी पहचाना आपने भी पहचाना। लोग बिचारे आयेगा आयेगा आयेगा करते और आप क्या कहते? आ गये। गीत गाते हो ना मेरा बाबा आ गया। तो बहुत अच्छा सबको बाप दिल का दुलार यादप्यार और दिल की दुआयें विशेष दे रहे हैं। अच्छा सिन्धी ग्रुप भी आ गया है। बापदादा विशेष आप दोनों को मुबारक दे रहे हैं कि निमित्त बन अभी फास्ट चलने का संकल्प अच्छा किया है तो विशेष मुबारक मुबारक हो। अभी फास्ट ही रहना ढीला नहीं बनना एक दो को मदद करके उड़ना। हाँ ताली बजाओ। इस एक वर्ष में कितने बार आये हो आये हो ना अच्छा लगा। अभी औरों को भी निमित्त बनाओ क्योंकि बापदादा सिन्ध में आया है तो सिन्ध वालों को तो आगे होना चाहिए।

अच्छा - आज तो 12 बजाना है ना। आप सभी भी 12 का इन्तजार कर रहे हो। अच्छा है। बाप के साथ बच्चों का मिलना वा मनाना कितना अच्छा है। अच्छा।

जो पहली बारी आये हैं वह उठकर खड़े हो जाओ। तो पहली बारी आने वालों को अपना जन्म दिन मनाने की मुबारक हो। अभी जैसे पहले बारी आये हो ऐसे ही नम्बर भी पहला लेना है। बापदादा का वायदा है कि भले अभी लास्ट में आये हैं लेकिन अभी लेट का बोर्ड लगा है टूलेट का नहीं लगा है। तो कोई भी लास्ट इज फास्ट और फास्ट इज फर्स्ट ले सकते हो। यह नहीं समझो तो हम तो बहुत देरी से आये हैं लेकिन अगर अभी भी डबल तीव्र पुरूषार्थ लक्ष्य और लक्षण दोनों समान बनायेंगे लक्ष्य ऊंचा और लक्षण कम तो फर्स्ट नहीं हो सकते। लेकिन अगर लक्ष्य और लक्षण समान बनाते चलेंगे तो आप एक्जैम्पुल बन सकते हो लास्ट और फर्स्ट का। इसीलिए पुरूषार्थ का लक्ष्य रखो। फिर अगर टूलेट का बोर्ड लग गया तो फर्स्ट नम्बर नहीं आ सकेंगे। बापदादा खुश है फिर भी हिम्मत रखकर उमंग उत्साह से सम्मुख पहुंच गये। और अभी भी सदा कहाँ भी रहो लेकिन मर्यादापूर्वक चलते चलो और बाप के दिल के समीप रहो तो बहुत थोड़े समय में भी अनुभव कर सकते हो। अभी गोल्डन चांस है कोई भी कर सकता है। चाहे भारत में हैं चाहे विदेश में हैं। तो समझा डबल ट्रिपल पुरूषार्थ करना पड़ेगा। सदा बाप के साथ कम्बाइन्ड रहना पड़ेगा। कोई भी मुश्किल आये बोझ आवे तो बाप को देने आता है तो बेफिकर बादशाह बन उड़ते रहेंगे। दिल में बोझ नहीं रखो। कई बच्चे कहते हैं एक मास हो गया है 15 दिन हो गये हैं चलता ही रहता है और उस 15 दिन में अगर आपका काल आ जाए तो? उसी समय बोझ बाप को दे दो देना आता है? देना जरूर सीखो। लेना तो आता है देना भी सीखो। तो क्या करेंगे? देना सीखा है? बापदादा आया ही किसलिए है? बच्चों का बोझ लेने के लिए। कौन है जो इतनी हिम्मत रखता है वह हाथ उठाओ। शरीर का हाथ उठा रहे हो या मन का हाथ उठा रहे हो? मन का हाथ उठाना। अच्छा। बापदादा ऐसे बच्चों को पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

इस वर्ष का होमवर्क बापदादा ने दे दिया है। वर्ष को इस विधि से मनाना। और बापदादा ने जो इस तारीख के लिए होमवर्क दिया था वह भी बापदादा ने देखा और सुना। सिर्फ जो संकल्प किया है उसमें दृढ़ रहना। अलबेलापन नहीं लाना। बापदादा ने सुनाया था अलबेलेपन के शब्द कौन से हैं? एक गे गे और दूसरा तो तो... करना तो है यह दोनों शब्द अल-बेलेपन के हैं। तो जो भी संकल्प किया है उसमें अभी तो अपनी साइन की है लेकिन उसमें दृढ़ संकल्प की गवर्मेन्ट की स्टैम्प लगाना जो कोई नहीं मिटा सकता। दृढ़ता अपने जन्म का सबसे बड़ा गिफ्ट समझना। अच्छा।

सदा दृढ़ता सफलता की चाबी को सम्भालके रखना क्योंकि यह चाबी माया को भी बहुत प्यारी है। इसीलिए दिल की डिब्बी में इस चाबी को सम्भालके रखना। दृढ़ता ही सफलता की चाबी है और सफलता बाप के समान बनने का सहज साधन है। सदा निश्चय और निश्चित भावी है स्वराज्य अधिकारी और विश्व राज्य अधिकारी यह दोनों निश्चित है। ऐसे नशे में फखुर में सदा उड़ते रहो। इस वर्ष की जैसे आज विदाई और बधाई मनायेंगे ना ऐसे रोज़ अपने अन्दर की कम-जोरियों को विदाई दो और बापदादा से विशेष बधाईयां लो। यह संगमयुग विदाई और बधाई का है। तो संगमयुग का हर दिन बधाईयों के पात्र बनते जाओ। बापदादा को हर बच्चा दिल का दुलारा है। चाहे नम्बरवार है नम्बरवन नहीं है लेकिन नम्बरवार है तो भी बापदादा का हर कल्प का सिकीलधा बच्चा है इसीलिए अपने सिकीलधे बनने के भाग्य को सदा याद रखो। छोटी सी बात है सिर्फ कोई भी मुश्किल आवे दिल से आर्डर करो मेरा बाबा बाप अवश्य बंधा हुआ है लेकिन दिल में और बातें नहीं रखना मेरा बाबा भी कहो और दिल में कमज़ोरी भी हो तो बाप सहयोग नहीं देगा। दिल साफ मुराद हांसिल। किचड़े वाली दिल में बाप नहीं आता। और स्नेह से याद करो। सिर्फ ज्ञान के आधार से याद नहीं करो सुनाया था ज्ञान है बीज और स्नेह है पानी। सिर्फ ज्ञान से जाना लेकिन दिल के प्यार का अनुभव नहीं किया प्यार से बाप को याद नहीं किया तो प्रैक्टिकल फल नहीं निकलता अर्थात् अनुभव नहीं होता। अनुभवी स्वरूप है फल लेकिन पानी नहीं देते तो सूखा गन्ना हो जाता। भले कोर्स कराओ भाषण करके आओ और इनाम भी लेके आओ दिन में चार चार भाषण करो लेकिन दिल का स्नेह नहीं क्योंकि बाप से दिल के स्नेह की निशानी है हर ब्राह्मण परिवार से भी स्नेह। स्नेह नहीं तो माया के विघ्न ज्यादा आते हैं क्योंकि पानी डाला ही नहीं तो फल कैसे मिलेगा। कई बच्चे कहते हैं ज्ञान तो समझ गये हैं बाबा से सर्व संबंध भी हैं लेकिन अनुभव नहीं होता। अनुभव है फल सूखा ज्ञानी नहीं बनो स्नेही बाप का स्नेही परिवार का स्नेही स्वत: ही बन जाता है क्योंकि बाप समान है ना। तो बाप का लास्ट बच्चे से भी दिल का प्यार है। हर एक को स्नेह की वृत्ति से देखते। तो सिर्फ ज्ञानी नहीं बनो भाषण वाले नहीं भासना स्वरूप बनो। अपने आपसे पूछो बाप से दिल का स्नेह है? कि जिस समय आवश्यकता है उस समय का स्नेह है! वह हो गये ज्ञानी भक्त। तो इस वर्ष क्या करेंगे? स्नेह का वायुमण्डल एक एक को देखके चाहे कमज़ोर है लेकिन पुरूषार्थी तो है ना! परिवार का तो है ना। गिरे हुए को गिराओ नहीं उमंग-उत्साह बढ़ाओ। स्नेह का वायुमण्डल बनाओ। अच्छा।

यादप्यार तो बापदादा ने चारों ओर के बच्चों को दे ही दिया है। चारों ओर के बच्चे अब बापदादा के होमवर्क को प्रैक्टिकल में करके सबूत देने वाले सपूत बच्चे का अपना प्रभाव दिखायेंगे। तो चारों ओर के बच्चों को बहुत-बहुत दिल का दुलार और दिल की पदमगुणा यादप्यार स्वीकार हो। और ऐसे लायक बच्चे श्रेष्ठ बच्चों को बापदादा का नमस्ते।

दादियों से:- बहुत प्यार भी है और उम्मीदें भी हैं जो चाहे वह कर सकते हो। जैसे आप सबकी दादी निमित्त बनी ना। कोई कहे ना कहे लेकिन निमित्त पालना के बनी तो आटोमेटिक याद आती है। बापदादा की तो बात छोड़ो लेकिन दादी तो आप जैसे ही थी। लेकिन करके दिखाया। सबसे बड़ा पेपर दादी ने ब्रह्मा बाप के अव्यक्त होने के टाइम दिया। ऐसे वायुमण्डल अचानक और इतनी हिम्मत रखना और सभी को मददगार बनाना यह तो कमाल की ना। भले साथ तो सबने दिया लेकिन निमित्त तो बनी। दादी की विशेषता क्या रही? दिल साफ मुराद हांसिल। किसी की भी बात दिल में नहीं रखी। और अलबेलापन देखते भी उसको उमंग दिलाया। अलबेला है छोड दो नहीं। हिम्मत दिलाई। तो सभी के दिल से निकलता है मेरी दादी। दिल से कहते हैं ना सभी मेरी दादी। इसलिए आप लोग भी ग्रुप बनाओ जो लक्ष्य रखे चलो बाप समान तो बनना ही है लेकिन कम से कम दादी के समान भासना दे। ऐसा ग्रुप चाहिए। एक नहीं। एक दो के साथी बन ऐसा प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाना। फिर बापदादा उस ग्रुप को विशेष गिफ्ट देंगे। क्या देंगे वह नहीं बतायेंगे। लेकिन देंगे। लेना ही है। ऐसी रूहरिहान करो। मीटिंग करते हैं वह भी जरूरी है लेकिन ऐसे उमंग उत्साह की रूहरिहान भी करो तभी ठीक है। ग्रुप बनाना ही है। जैसे देखो यह 6-7 अपना टाइम निकालके अन्तर्मुखी रही ना (बहनों ने भट्ठी की थी) निकल गया ना टाइम प्रैक्टिकल करके दिखाया ना। तो क्या नहीं हो सकता। और उसका प्रभाव भी है प्रैक्टिकल में सबूत भी है। तो यह जरूरी है। आप तो (दादी जानकी से) रूहरिहान करने में होशियार हैं। एक दो के सहयोगी तो हैं ही। मतलब कुछ नवीनता करके दिखाओ जैसे चल रहा है वैसे चल रहा है नहीं। इससे समय समीप आयेगा। अभी देखो भय में भी चिल्ला रहे हैं लम्बा कर रहे हैं जो करना है कर लेवे नहीं कोई न कोई कारण बनके ठण्डा हो जाता है। इसलिए यह करना है यह साल शुरू होगा तो प्लैन बनाना।

दादी जानकी ने बापदादा को अंकल आंटी की याद दी:- जैसे बापदादा ने आज कहा ना वी.आई.पी हो माइक भी हो और वारिस भी हो ऐसा प्रैक्टिकल निमित्त बना और परिवार का भी कल्याण किया और रत्न भी ऐसे निकाले।

बड़े भाईयों से:- एक अकेला ब्रह्मा बाप ने कमाल करके दिखाई ना। तो आप तो कितने हो। हो जायेगा हुआ पड़ा है सिर्फ निमित्त बना रहे हैं। निमित्त बनने वाले को ही प्राप्ति होती है विशेष। साधारण तो सबको होती है लेकिन जो निमित्त बनता है उसको विशेष प्राप्ति होती है। तो इन्हों को (दादियों को) कहा है आपस में रूहरिहान करो। मीटिंग भले करो लेकिन रूहरिहान भी करो। टाइम निकालना पड़ेगा वह तो चलता ही रहेगा। अपने टाइम को सेट करना पड़ेगा। अच्छा

2008 की विदाई 2009 की बधाई - रात्रि 12 बजे के बाद बापदादा ने सभी बच्चों को नये वर्ष की बधाईयां दी:-

सभी ने नया वर्ष मनाया और इस साल का हर दिन स्व-परिवर्तन और विश्व परिवर्तन के रूप से मनाते रहना। हर दिन नया परिवर्तन। हर दिन नई सेवा हर दिन सदा उमंग और उत्साह एक दिन भी चिंता चिंतन का नहीं हमेशा उमंग उत्साह से दिन और रात बिताना इस नये वर्ष में हर दिन कुछ न कुछ नया स्व के प्रति या विश्व के प्रति सेवा के प्रति करना ही है ऐसा दृढ़ संकल्प कर समय को समीप लाते हुए सम्पूर्ण बाप समान बन उड़ना है और उड़ाना है। गुड नाइट। अच्छा।